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बारिश के बारे मे ।
बारिश के बारे में सभी लोग जानते हैं ऑर हमे बारिश अछि भी लगती है । पृथ्वी पर
बादल (Clouds) कैसे बनते हैं और कब उससे बारिश होती है. ऐसे सवालों का जवाब आमतौर पर सभी को मालूम तो होता है, लेकिन अगर इस पूरी प्रक्रिया (process) का बताने को कहा जाए तो क्या बहुत ही कम लोग इस बता पाएंगे.ऑर समजा भी नहीं पाए गे । इस तरह के सवाल जब बच्चे पूछते हैं और हम वास्तव में ही उनकी जिज्ञासा शांत करना चाहते हैं तो मुश्किल होती है । बच्चों के ज्ञान के यह समज ना जरूरी हो जाता है ।
बारिश, प्रकृति का एक अद्भुत और सुंदर उपहार है। यह मौसम गर्मियों के बाद आता है और धरती को नई जीवनशक्ति प्रदान करता है। बारिश की बूंदों का पानी हरे-भरे मैदानों को संवारता है ऑर प्राकृतिक सुंदरता देता है । पौधों को नई ऊर्जा से भर देता है। यह स्वाभाविक तरीके से पेय जल के स्रोत को पुनर्जीवित करने में भी मदद करता है। बरसात हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालती है। हम मानव जाती को प्रकृति को आभार व्यक्त करना चाहिए जो हमे जीवन जीने को जल प्रदान करती है ।
आइए समज ते है बारिश बननेकी प्रक्रिया को

बारिश बनेकी प्रक्रिया
बिल्कुल! यहाँ बारिश की प्रक्रिया के कुछ और महत्वपूर्ण पहलू हैं:
वाष्पीकरण //यह प्रक्रिया तब होती है जब सूर्य की गर्मी से जल स्रोतों से पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है। यह वाष्प हवा में मिलकर ऊपर की ओर जाता है और ऊँचाई पर पहुँचता है।
संघनन (Condensation): ऊँचाई पर पहुँचने के बाद, वाष्प ठंडी हवा के संपर्क में आता है और संघनित होकर छोटे-छोटे जलकणों में बदल जाता है। ये जलकण मिलकर बादल बनाते ह
वर्षण (Precipitation): जब बादल भारी हो जाते हैं और उनमें जल की बूंदें बड़ी हो जाती हैं, तो वे पृथ्वी पर वर्षा के रूप में गिरती हैं। वर्षा के विभिन्न रूप हो सकते हैं, जैसे बारिश, बर्फ, ओले आदि।
संग्रहण (Collection): वर्षा का जल नदियों, झीलों, और समुद्रों में वापस चला जाता है, जहाँ से यह फिर से वाष्पीकरण की प्रक्रिया में शामिल होता है। यह जल चक्र निरंतर चलता रहता है।
भूमिगत जल (Groundwater): वर्षा का कुछ हिस्सा भूमि में समा जाता है और भूमिगत जल के रूप में संग्रहित होता है। यह जल स्रोत कुओं, नलकूपों, और झरनों के माध्यम से पुनः उपयोग में आता है।
पौधों की भूमिका (Role of Plants): पौधे भी जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे अपनी जड़ों के माध्यम से जल को अवशोषित करते हैं और पत्तियों के माध्यम से वाष्पीकरण करते हैं, जिसे वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहते हैं।
यह पूरी प्रक्रिया पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।